Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 10

भाग 10
कुछ दिनों बाद आदित्य के 2 और राउंड्स होते हैं इंटरव्यू के, जिन्हें वो बड़ी आसानी से पास कर लेता है। इनफ़ोसिस का ऑफर लैटर उसके हाथ में होता है। कंपनी से ही वो अदिति को फोन करता है और इनफ़ोसिस में नौकरी लगने की खुशखबरी देता है। अदिति यह खबर सुनकर बहुत खुश हो जाती है और कहती है…. देखा मैंने कहा था ना तुम्हारी नौकरी बहुत अच्छी कंपनी में लगेगी और लग गयी।

आदित्य अदिति को थैंक यू कहता है और भी बहुत कुछ कहने का मन होता है उसका, लेकिन कुछ देर के लिए वो चुप हो जाता है। उधर से अदिति हैलो-हैलो कर रही होती है लेकिन आदित्य की कोई आवाज़ नहीं आ रही होती है। अदिति घबरा जाती है और पूछती है…..तुम बोल क्यों नहीं रहे, चुप क्यों हो इस तरह, बोलो ना, मुझे घबराहट हो रही है तुम्हारी चुप्पी से।

आदित्य धीरे से कहता है…..आई लव यू अदिति।
अदिति को कुछ ठीक से सुनाई नहीं देता और वो परेशान होकर फोन रख देती है।

इधर आदित्य हैरान हो जाता है यह सोचकर कि उसके मुँह से यह बात निकल कैसे गयी। वो मन ही मन भगवान का शुक्र मनाता है कि अदिति ने कुछ सुना नहीं। आज उसने सबसे पहले नौकरी लगने की खुशखबरी अदिति को दी, अपने घर में भी फोन नहीं किया। क्या उसे सच में अदिति से प्यार हो गया है?

आदित्य का दिल और दिमाग कहते हैं….
अदिति किसी और से बात करे उसे अच्छा नहीं लगता है। हर पल वो अदिति के बारे में सोचता है। आज नौकरी लगने की खुशखबरी भी उसने अदिति को ही पहले दी, अपने घरवालों को नहीं।
उसने अदिति का कितना दिल दुखाया लेकिन फिर भी अदिति ने उसका साथ दिया। सुमित ठीक कहता था कि अदिति दिल की बहुत अच्छी है।

यह सोच ही रहा होता है कि अदिति का फोन आ जाता है….सुनो तुम घर ना जाकर मेरे घर के पास जो मंदिर है, वहाँ मिलना। तुम्हारी इनफ़ोसिस में नौकरी लग जाए इसके लिए बोला था कि तुम्हें साथ लेकर प्रशाद चढ़ाने जाऊंगी मंदिर। बेकार की बातों में दिमाग लड़ाने की जरूरत नहीं है, इसे दोस्ती से ज़्यादा कुछ मत समझना और मंदिर पहुंचकर फोन कर देना, मैं आ जाऊंगी।

आदित्य ठीक है कहकर फोन रख देता है। उसके होंठों पर मुस्कुराहट और आँखों में नमी होती है। उसका दिल और दिमाग एक ही बात कहते हैं…..अदिति और आदित्य दोनों एक से नाम एक होने के लिए ही बने हैं।

आदित्य मन ही मन कहता है….. माँ बाप की सोचूँ या फिर अपने दिल की? न उसे देखे बिना चैन आता है, न बिना बात किए। ऐसे ही कब तक दो नावों में सवार रहूंगा? यह बात तो तय है कि मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ और ये भी सच है कि वो भी मुझे प्यार करती है। जज्बातों को नियंत्रण में रखना बहुत मुश्किल हो रहा है आदित्य, क्या करेगा अब?
बहुत हो गया, जो होगा देखा जायेगा, मैं उसके बिना नहीं रह सकता अब। सही फैसला लेने का समय आ गया है।

आदित्य मंदिर पहुँचकर अदिति को फोन करता है और अदिति 10 मिनट में मंदिर पहुँच जाती है। हल्की बारिश होने लगती है, बारिश से बचने के लिए आदित्य मंदिर के बाहर एक दुकान के नीचे खड़ा होता है। आज अदिति बिलकुल ही साधारण बन कर आयी होती है। आँखों में बस काजल और चेहरे पर बारिश की बूंदें।

आदित्य को आज पहली बार एहसास होता है यह साधारण से दिखने वाली लड़की साधारण नहीं है, बेहद खूबसूरत है। उसकी आँखें उसके दिल का आईना है, बिन बोले भी कितना कुछ कह जाती हैं अदिति की आँखें और नाक की तरफ तो उसने ध्यान ही नहीं दिया, कितनी छोटी सी-तीखी सी, प्यारी सी नाक है इसकी। इन बारिश की बूंदों से तो अदिति का सांवला रंग और भी चमकने लगा है। अगर यह खूबसूरती नहीं है तो फिर किसे खूबसूरती कहेंगे? पागल था मैं, जो उसकी सुंदरता को कभी ध्यान से देख नहीं पाया, बार-बार उसे साधारण कहकर नकारता रहा।

अदिति आदित्य को यूँ अपनी तरफ एकटक देखते हुए थोड़ा अजीब सा लगता है। वो कहती है….सॉरी मैं ऐसे ही आ गयी घर के कपड़ों में। मेरा चेहरा इतना खराब लग रहा है क्या, जो तुम मुझे टकटकी लगाए देख रहे हो?

आदित्य बेरुखी से कहता है….तुम घर के कपड़े पहनकर आओ या बाहर के, एक जैसी ही लगती हो। चलो मंदिर चलें मुझे देर हो रही है घर जाने के लिए। अदिति आदित्य का हाथ लगवाकर भगवान को प्रशाद चढ़ाती है और कुछ प्रशाद गरीबों में बाँट देती है। सभी भिखारी अदिति और आदित्य को आशीर्वाद देते हैं….. जोड़ी बनी रहे।

आदित्य हँसते हुए कहता है…..इनका बस चले तो सबकी जोड़ी बना दें।
अदिति मुस्कुराकर कहती है….परेशान मत हो, हमारी जोड़ी नहीं बनने वाली।
आदित्य गुस्से से देखता है अदिति को और कहता है……उल्टा बोलना जरुरी है क्या?
चलो मैं चलता हूँ, देर हो रही है। घर पहुँचकर फोन करता हूँ।

अदिति आदित्य की बात समझ नहीं पाती और उसे जाते हुए देखती रहती है। आदित्य पीछे मुड़कर देखता है, जेब से फोन निकालता है और अदिति को फोन करता है…..यहाँ खड़ी-खड़ी मुझे देखती मत रहो पागलों की तरह, घर जाओ। घर पहुँचकर फोन करता हूँ।

आदित्य का व्यवहार अदिति को पागल किए जा रहा था। वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर आदित्य के दिल में है क्या? उसे आदित्य का व्यवहार बहुत ही अजीब लगता था। उसकी बातें अदिति की समझ से बाहर थी। एक तरफ तो लगता था जैसे उसके मन में अदिति के लिए प्यार है और दूसरी तरफ इतनी बेरुखी से, चिड़चिड़ाकर बात करता था कि दिल करता था उससे कभी बात न करूं। अदिति रिक्शे में बैठी मन ही मन बड़बड़ा रही थी कि कहाँ फंस गई वो और रिक्शेवाले के रेडियो में गाना बज रहा था…..

"मेरे दिल को ये क्या हो गया?

मैं ना जानूँ कहाँ खो गया?
क्यूँ लगे दिन में भी रात है?
धूप में जैसे बरसात है
ऐसा क्यूँ होता है बार-बार?
क्या इसको ही कहते हैं प्यार?

हाँ, आईने में जो देखा मैंने तोआई शरम, 
आँखें झुकी ,धक से मेरा धड़का जिया
इक पल को ये साँसें रूकी
अब चूड़ी सताने लगी
रातों को जगाने लगी
मैं यूँ ही मचलने लगी
कुछ-कुछ बदलने लगी
जाने रहती क्यूँ बेकरार?
क्या इसको ही कहते हैं प्यार?
ऐसा क्यूँ होता है बार-बार?
क्या इसको ही कहते हैं प्यार?"

अदिति मुस्कुरा उठी और सोचने लगी….. वाह! यह रेडियो भी मूड के हिसाब से गाने बजाता है।

उधर आदित्य के घर में ख़ुशी का माहौल होता है उसकी नयी नौकरी को लेकर। उसकी मम्मी आदित्य की पसन्द का सूजी का हलवा बनाती है और भगवान को भोग लगाती है। आदित्य खाना खाकर अपने कमरे में आता है। लाइट बंद करके बिस्तर पर लेट जाता है और गाने लगा देता है। गाने सुनते-सुनते कब नींद आ जाती है उसे पता ही नहीं चलता और अदिति को फोन करना भूल जाता है।

अदिति काफी देर तक फोन का इंतज़ार करती है और फिर सो जाती है।

आदित्य को सुबह उठकर याद आता है अरे उसे तो अदिति को फोन करना था रात को।

वो कई बार अदिति को फोन करता है लेकिन अदिति का फोन बंद आ रहा होता है। वो समझ जाता है अदिति गुस्से में है। अब क्या करे, अदिति को कैसे मनाए? आसमान की तरफ देखता है और कहता है हे भगवान यह कैसी प्रेम कहानी है जो शुरू होने से पहले ही रुक जाती है।

❤सोनिया जाधव

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jan-2022 06:05 PM

सुंदर भाग👌👌

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Miss Lipsa

15-Jan-2022 02:34 PM

Wonderful

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